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उत्तराखंड: स्माइल आपरेशन से सामने आई वजह की आखिर क्यों बच्चे उठा रहे घर छोड़ने और आत्महत्या जैसे कदम, जाने क्या कहना है बाल मनोविज्ञानियों का

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देहरादून। उत्तराखंड में तनाव के चलते बच्चे घर से भागने और आत्महत्या जैसा कदम उठा रहे हैं। आपरेशन स्माइल के तहत बरामद बच्चों से पूछताछ में यह सामने आया है। तो चलिए आपको बताते हैं कि बच्चों में मानसिक तनाव बढ़ने के आखिर क्या कारण हो सकते हैं और क्या कहना है बाल मनोविज्ञानियों का।

एक रिपोट के अनुसार राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक 2019 और 20 के दौरान उत्तराखंड में 1062 नाबालिग बच्चे गायब हो गए थे। इनमें 477 बालक व 585 बालिकाएं शामिल हैं। पुलिस की ओर से 701 बच्चों को बरामद किया गया। इसमें से आपरेशन स्माइल के तहत 315 बच्चे बरामद किए गए।

पुलिस विभाग की ओर से जब बातचीत की गई तो 210 बच्चों ने बताया कि स्वजन ने उन्हें डांटा जिसके कारण तनाव में आकर वह भाग गए। इसके अलावा आठ बच्चे पारिवारिक विवाद, 10 बच्चे बिछड़ गए थे, एक बच्चा पढ़ाई के कारण व अन्य 86 बच्चे शामिल हैं।

 

बच्चों के मानसिक तनाव के यह हैं कारण

-कोरोनाकाल में स्कूल बंद होने से बच्चों का रूटीन बिगड़ा है

-मानसिक कठिनाई के समय में बच्चों को माता पिता व शिक्षकों का पूरा साथ नहीं मिल पाना।

-बीमार स्वजन के बारे में लगातार सुनने व करीबी जन की मौत से उत्पन्न असुरक्षा की भावना।

-शारीरिक सक्रियता में कमी, स्क्रीन पर अधिक समय बिताना व अनियमित नींद।

-अधिक समय तक का अकेलापन भविष्य की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए खतरा।

बाल मनोविज्ञानी डा. वीना कृष्णन बताती हैं कि कोरोनाकाल के कारण बच्चे घर पर ही कैद रहे, जिसके कारण उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा है। स्वजन की ओर से बच्चों की तरफ ध्यान नहीं दिया गया। इस कारण उनकी लाइफ स्टाइल में बदलाव आया है। ऐसी स्थिति में बच्चे या तो आत्महत्या या फिर घर से भाग रहे हैं। बच्चों को यह लग रहा है कि उनके जाने से किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसके अलावा स्वजन को सजा देने के लिए बच्चे घर से भागने जैसा कदम उठा रहे हैं।

आपरेशन स्माइल व एसपी अपराध और कानून व्यवस्था की नोडल अधिकारी श्वेता चौबे ने बताया कि नाबालिग बच्चों की गुमशुदगी को लेकर उत्तराखंड में आपरेशन स्माइल अभियान चलाया जाता रहा है। इस बार 15 सितंबर से 14 अक्टूबर तक अभियान शुरू किया गया है। 2015 से 2020 तक चले अभियान के दौरान अब तक 1876 नाबालिग बच्चों को बरामद कर उनके स्वजन के सुपुर्द किया जा चुका है। इनमें 1382 बालक और 494 बालिकाएं शामिल हैं।

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By admin

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