नियुक्ति प्रकरण :कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल बताये कि क्या इसके लिए समाचार पत्रों में विज्ञप्ति प्रकाशित की गयी थी ? क्या ये नियुक्तियां रिक्त पदों के सापेक्ष हुयी थीं ?
बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष श्री गणेश गोदियाल के कार्यकाल में हुयी वित्तीय अनियमितताओं की जांच आख्या पर आधारित कुछ प्रमुख बिंदु
– सचिव, संस्कृति व धर्मस्व, उत्तराखंड शासन ने 11 जुलाई, 2022 को आयुक्त, गढ़वाल को पत्र लिख कर मा.मंत्री, स्वास्थ्य व शिक्षा के पत्र के क्रम में श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष श्री गणेश गोदियाल के कार्यकाल के कुछ प्रकरणों की जांच कर आख्या शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। शासन के निर्देशों के क्रम में आयुक्त, गढ़वाल ने 17 अगस्त, 2022 को प्रकरण की जांच हेतु निम्नवत एक समिति गठित की –
1 – अपर आयुक्त (प्रशासन), गढ़वाल मंडल।
2 – अपर जिलाधिकारी, चमोली।
3 – अपर जिलाधिकारी, रुद्रप्रयाग।
4 – मुख्य कोषाधिकारी, चमोली।
1 – श्री बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति के अधीन नहीं होने के बावजूद तत्कालीन अध्यक्ष श्री गणेश गोदियाल ने पौड़ी- जनपद स्थित बिनसर मंदिर के निर्माण पर 4.06 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्रदान कर दी गयी। अधीनस्थ मंदिर नहीं होने के कारण इतनी बड़ी धनराशि खर्च करने के लिए शासन से अनुमति ली जानी चाहिए थी। मगर शासन से कोई स्वीकृति नहीं ली गयी।
उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली के अनुसार किसी भी कार्य के लिए निविदा इत्यादि राज्य के दो प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जाना अनिवार्य है। मगर मंदिर समिति ने बिनसर मंदिर के निर्माण कार्य की निविदा मात्र एक समाचार पत्र दैनिक हिंदुस्तान में प्रकाशित की।
बिनसर मंदिर के अवशेष मजदूरी कार्य एवं सामग्री आपूर्ति हेतु निविदा/ कोटेशन एक ऐसे समाचार पत्र “दैनिक जन आगाज” में निकाला गया, जिसका नाम आज तक किसी ने भी नहीं सुना होगा।
2 – जनपद – चमोली के पोखरी (नागनाथ) में शिव मंदिर के जीर्णोद्वार व मंदिर परिसर के विकास के लिए लगभग 39 लाख से अधिक की धनराशि स्वीकृत की गयी। यह मंदिर भी बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति के अधीन नहीं है। इस मंदिर के निर्माण कार्य की निविदा भी दैनिक हिंदुस्तान और दैनिक जन आगाज में प्रकाशित की गयी। यह प्रकरण भी स्पष्ट वित्तीय अनियमितता का है।
3 – मंदिर समिति की बोर्ड बैठक के एक अस्पष्ट प्रस्ताव के आधार पर टिहरी जनपद के मदन नेगी से गणेश प्रयाग तक हल्का वाहन मार्ग का निर्माण कराया गया, जो कि सीधे- सीधे मंदिर समिति के धन का दुरूपयोग है। श्री गणेश मंदिर टिहरी में यात्री विश्राम गृह के निर्माण के बजाय सड़क का निर्माण करा दिया गया।
4 – वर्ष 2014 में आपदा राहत कोष के मद से प्राप्त धनराशि में से 12 लाख की धनराशि दिल्ली की एक फर्म ASCEND फिल्म को डाक्यूमेंट्री फिल्म की डीवीडी निर्माण करने हेतु दे दिया गया। इस कार्य के लिए शासन की स्वीकृति आवश्यक थी, किन्तु किसी प्रकार की स्वीकृति नहीं ली गयी और ना ही कोई निविदा आमंत्रित की गयी। मंदिर समिति के अध्यक्ष ने अपने स्तर से स्वीकृति जारी कर दी। यह घोर वित्तीय अनियमितता का उदाहरण है।
प्रकरण पर विवाद होने पर मंदिर समिति ने 12 लाख रूपये की धनराशि दैवी आपदा निधि में वापस स्थानांतरित करा दी।
– उक्त प्रकरण पर उत्तराखंड शासन के धर्मस्व व संस्कृति विभाग ने अग्रिम कार्रवाई हेतु न्याय विभाग से परामर्श मांगा था। न्याय विभाग ने अपनी आख्या में स्पष्ट रूप से कहा है कि – ”जांच आख्या में समिति में वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि हुयी है। ऐसे में समिति के लिए उक्त आख्या के आलोक में संबंधित अधिकारियों/ कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही एवं भारतीय न्याय संहिता की सुसंगत धाराओं के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत कराकर आपराधिक कार्यवाही किया जाना विधिपूर्ण होगा।”