देहरादून की जिलाधिकारी आनंद पटाखा गोदाम का लाइसेंस निरस्त करने की उठने लगी है मांग.
आखिर किसने आबादी के बीच में.
आनंद पटाखा गोदाम का लाइसेंस मंजूर किया… 7 दिन में दो बार गोदाम में लगी आग
बोल रहा देहरादून इंद्रा आईवीएफ हॉस्पिटल के बगल में पटाखों के गोदाम का ये लाइसेंस निरस्त हो…
देहरादून में जान के साथ नहीं चलेगा खिलवाड़, ट्रांसपोर्ट नगर में पटाखों के गोदाम का लाइसेंस हो निरस्त, 7 दिन भर दो बार लगी आग , दहशत में अस्पताल ..
दून में नियमों को कौन कर रहा है तार-तार , अस्पताल के बगल में पटाखा गोदाम का लाइसेंस…!
देहरादून में क्यों आबादी वाले इलाकों में बम रख कर लोगों की जान को संकट में डालने का किया जा रहा है काम….
सवाल ये है कि आईएसबीटी जैसे आबादी वाले इलाके में आखिर किसने पटाखे के गोदाम खोलने की परमिशन दी
राजधानी दून में नियमों को तार-तार किया जा रहा है। घोर आबादी वाले इलाकों में बम रख कर लोगों की जान को संकट में डालने का काम किया जा रहा है।
अभी पिछले मंगलवार को आईएसबीटी स्थित एक पटाखा गोदाम में लगी आग को जैसे तैसे फायर ब्रिगेड बुझाया…
और फिर ठीक 7 दिन बाद…
यानी कि आज मंगलवार को.. फिर यहां आग लग गई
वह तो भला हो फायर ब्रिगेड व पुलिस टीमों का जो मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पा रही है जिसमें दो से अधिक घंटी लगे
लेकिन सवाल ये है कि आईएसबीटी के लगभग आबादी वाले इलाके में आखिर किसने पटाखे के गोदाम को परमिशन दी। इसी को लेकर फायर डिपार्टमेंट ने जांच शुरू कर दी है…
पर यह जांच अंजाम तक भी पहुंचेगी या नहीं यह सवाल उठने लगा है
पिछले ट्यूजडे को दोपहर करीब पौने चार बजे नियम आईएसबीटी आनंद पटाखा गोदाम में आग लग गई..
और इस ट्यूसडे यानी कि मंगलवार को.. सुबह लगभग 10:00 बजे ..
आग लगने से आसपास इलाके में हड़कंप मच गया। फायर ब्रिगेड व क्लेमेंट टाउन पुलिस ने दोनों बार ही मौके पर पहुंच कर आग बुझाने का प्रयास किया।
फायर ब्रिगेड की टीम ने गोदाम की लाइट बंद करते हुए बगल में इंद्रा आईवीएफ हॉस्पिटल से होज पाइप के माध्यम से पानी लेकर आग बुझानी शुरू की। खास बात ये है कि गोदाम में पटाखे रखे हुए थे। ऐसे में फायर ब्रिगेड ने पानी के साथ ही फोम का इस्तेमाल किया। बमुश्किल करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। बताया जा रहा है कि बिजली शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी…..
बताया जा रहा है कि शहर में कई ऐसे इलाके हैं, जहां गुप-चुप तरीके से आतिशबाजी की सामग्री बिक्री होती है। लेकिन, संबंधित विभाग को इसकी कानोंकान तक खबर नहीं होती है। बस, हादसा हो जाए। उसके बाद जांच की बात कहकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। इस घटना को लेकर भी कुछ ऐसी ही संभावना जताई जा रही है। स्थानीय लोग दबी जुबान में इस पटाखा गोदाम को लेकर आशंकित थे
अब सवाल ये खड़ा होता है कि आबादी के बीच पटाखा गोदाम को लाइसेंस कैसे मिला..
क्या आबादी एरिया में कहीं भी पटाखा गोदाम खोला जा सकता है… इन सबकी जांच ही नहीं होनी चाहिए बल्कि जांच के बाद कार्रवाई भी होनी चाहिए